NEW Hindi Grammar – हिन्दी व्याकरण (Vyakaran) and Qus & AUN, 2021
1. दीर्घ संधि
जब ( अ , आ ) के साथ ( अ , आ ) हो तो ‘ आ ‘ बनता है , जब ( इ , ई ) के साथ ( इ , ई ) हो तो ‘ ई ‘ बनता है , जब ( उ , ऊ ) के साथ ( उ , ऊ ) हो तो ‘ ऊ ‘ बनता है। अथार्त सूत्र –
अक: सवर्ण दीर्घ:
मतलब अक प्रत्याहार के बाद अगर सवर्ण हो तो दो मिलकर दीर्घ बनते हैं। दूसरे शब्दों में हम कहें तो जब दो सुजातीय स्वर आस – पास आते हैं तब जो स्वर बनता है उसे सुजातीय दीर्घ स्वर कहते हैं , इसी को स्वर संधि की दीर्घ संधि कहते हैं। इसे ह्रस्व संधि भी कहते हैं।
दीर्घ संधि के उदहारण
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
रवि + इंद्र = रविन्द्र
गिरी +ईश = गिरीश
मुनि + ईश =मुनीश
मुनि +इंद्र = मुनींद्र
भानु + उदय = भानूदय
वधू + ऊर्जा = वधूर्जा
विधु + उदय = विधूदय
भू + उर्जित = भुर्जित।
2. गुण संधि
जब ( अ , आ ) के साथ ( इ , ई ) हो तो ‘ ए ‘ बनता है , जब ( अ , आ )के साथ ( उ , ऊ ) हो तो ‘ ओ ‘बनता है , जब ( अ , आ ) के साथ ( ऋ ) हो तो ‘ अर ‘ बनता है। उसे गुण संधि कहते हैं।
गुण संधि के उदहारण
नर + इंद्र + नरेंद्र
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश
भारत + इंदु = भारतेन्दु
देव + ऋषि = देवर्षि
सर्व + ईक्षण = सर्वेक्षण
3. वृद्धि संधि
जब ( अ , आ ) के साथ ( ए , ऐ ) हो तो ‘ ऐ ‘ बनता है और जब ( अ , आ ) के साथ ( ओ , औ )हो तो ‘ औ ‘ बनता है। उसे वृधि संधि कहते हैं।
वृधि संधि के उदहारण
मत + एकता = मतैकता
एक + एक =एकैक
धन + एषणा = धनैषणा
सदा + एव = सदैव
महा + ओज = महौज
4. यण संधि
जब ( इ , ई ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है , जब ( उ , ऊ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है , जब ( ऋ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है।
यण संधि के तीन प्रकार के संधि युक्त्त पद होते हैं।
य से पूर्व आधा व्यंजन होना चाहिए।
व् से पूर्व आधा व्यंजन होना चाहिए।
शब्द में त्र होना चाहिए।
यण स्वर संधि में एक शर्त भी दी गयी है कि य और त्र में स्वर होना चाहिए और उसी से बने हुए शुद्ध व् सार्थक स्वर को + के बाद लिखें। उसे यण संधि कहते हैं।
यण संधि के उदहारण
इति + आदि = इत्यादि
परी + आवरण = पर्यावरण
अनु + अय = अन्वय
सु + आगत = स्वागत
अभी + आगत = अभ्यागत
5. अयादि संधि
जब ( ए , ऐ , ओ , औ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ ए – अय ‘ में , ‘ ऐ – आय ‘ में , ‘ ओ – अव ‘ में, ‘ औ – आव ‘ ण जाता है। य , व् से पहले व्यंजन पर अ , आ की मात्रा हो तो अयादि संधि हो सकती है लेकिन अगर और कोई विच्छेद न निकलता हो तो + के बाद वाले भाग को वैसा का वैसा लिखना होगा। उसे अयादि संधि कहते हैं।
अयादि संधि के उदहारण
ने + अन = नयन
नौ + इक = नाविक
भो + अन = भवन
पो + इत्र = पवित्र
'प्रत्ययों के आधार पर तद्भव हिंदी शब्दों का लिंग निर्णय :-
प्रत्ययों के आधार पर तद्भव हिंदी शब्दों का लिंग निर्णय चार भागों में बाँटा गया है ।
(क) स्त्रीलिंग कृदंत प्रत्यय
(ख) पुल्लिंग कृदंत प्रत्यय
(ग) स्त्रीलिंग तद्धित प्रत्यय
(घ) पुल्लिंग तद्धित प्रत्यय
(क) स्त्रीलिंग कृदंत प्रत्यय :-
जब संज्ञा शब्दों के अंत में अ , अंत , आई , आन , आवट , आस , आहट , ई , औती , आवनी , क , की , ती , नि आदि शब्द आते हैं ।जिन धातु शब्दों में हिंदी के कृदंत प्रत्यय लगे होते हैं वे स्त्रीलिंग होते हैं । इन स्त्रीलिंग कृदंत प्रत्ययों में अ , क और न प्रत्यय कहीं कहीं पर पुल्लिंग में भी आ जाते हैं ।
जैसे :- लूट , चमक , देन , भिडंत , लखावत , प्यास , घबराहट , हँसी , मनौती , छावनी , बैठक , फुटकी , बचत , गिनती , करनी , सीवन आदि ।
(ख) पुल्लिंग कृदंत प्रत्यय :-
जब संज्ञा शब्दों के अंत में अक्कड , आ , आऊ , आक , आकू , आप , आपा , आव , इयल , इया , ऊ , एरा , ऐया , ऐत , औता , औना , औवल , क , का , न , वाला आदि शब्द आते हैं । जिन धातु शब्दों में हिंदी कृदंत प्रत्यय लगे होते हैं वे पुल्लिंग होते हैं । क और न को उभयलिंग ही माना जाता है । इन दोनों प्रत्ययों को और स्त्रीलिंग प्रत्ययों को छोडकर सभी पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- भुलक्कड , मेरा , जीवाक , लड़ाकू , विलाप , बुढ़ापा , फिराव , छलावा , प्रियल , मुखिया , लुटेरा , समझौता दान आदि ।
(ग) स्त्रीलिंग तद्धित प्रत्यय :-
जब संज्ञा शब्दों के अंत में आई , आवट , आस , आहट , इन , एली , ऑडी , ओटी , औती , की , टी , डी , त , ती , नी , ऋ , ल , ली आदि शब्द आते हैं । जिन धातु शब्दों में हिंदी तद्धित प्रत्यय लगते हैं वे स्त्रीलिंग होते हैं ।
जैसे :- सिलाई , थकावट , खास , हथेली आदि ।
(घ) पुल्लिंग तद्धित प्रत्यय :-
जब संज्ञा शब्दों के अंत में आ, आऊ, आका, आटा, आना, आर, इयल, आल, आड़ी, आरा, आलू, आसा, ईला, उआ, ऊ, एरा, एड़ी, ऐत, एला, ऐला, ओटा, ओट, औड़ा, ओला, का, जा, टा, ड़ा, ता, पना, पन, पा, ला, वन्त, वान, वाला, वाँ, वा, सरा, सों, हर आदि आते हैं । जिन धातु शब्दों में हिंदी तद्धित प्रत्यय लगते हैं वे पुल्लिंग होते हैं ।
जैसे :- पैताना, भिखारी, हत्यारा, मुँहासा, मछुआ, सँपेरा, डकैत, अधेला, चमोटा, लँगोटा, हथौड़ा, चुपका, दुखड़ा, रायता, कालापन, बुढ़ापा, गाड़ीवान, टोपीवाला, छठा आदि ।
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